जर्मन खगोलविद वैज्ञानिक केप्लर ने ग्रहों से संबंधित नियम दिए-
1.केप्लर का प्रथम नियम(Law of orbit):-
केप्लर के प्रथम नियम के अनुसार प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारो ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में गति करता है। तथा सूर्य ग्रह के एक फोकस या नाभि बिन्दु पर स्थित होता है।
2.केप्लर का दूसरा नियम(Law of areas):-
● प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है। इसका प्रभाव यह पड़ता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट आता है तो उसका वेग बढ़ जाता है तथा जब ग्रह सूर्य से दूर जाता है तो उसका वेग कम हो जाता है।
● वह स्थान जहाँ से ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक होता है उपसौर कहलाता है। तथा वह स्थान जहाँ से ग्रह सूर्य से सबसे दूर होता है अपसोर कहलता है।
● केप्लर के दूसरे नियम के अनुसार सूर्य तथा ग्रहों को जोड़ने वाली रेखा समान समयांतराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
3.केप्लर का तीसरा नियम(Law of period):-
ग्रह सूर्य के चारो ओर जितने समय मे एक चक्कर लगाता है उस समय को ग्रह का परिक्रमण (T) काल कहते है। परिक्रमण काल का वर्ग (T^2) ग्रह की सूर्य से औसत दूरी के घन (a^3) के अनुक्रमनुपति होता है। इसका प्रभाव यह होता है कि सूर्य से अधिक दूर ग्रह का परिक्रमण काल भी अधिक होता है तथा सूर्य के पास के ग्रह का परिक्रमण काल कम होता है। जैसे- सूर्य के सबसे पास ग्रह बुध का परिक्रमण काल 88 दिन है तथा सूर्य से सबसे दूर ग्रह वरुण का परिक्रमण काल 165 वर्ष है।
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